Shehrili

This is a song dedicated to an urban citizen who keeps showing off fashion.

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 Size: 5.94 Megabytes

 Format: MP3

 Name: Shehrili

 Album: Shehrili

 O. S.s: Many

 Origin: India

 Author: Param Siddharth

 Cost: 0.00 Rs.

 Copyright: © Param Siddharth 2019

 Devices: Many

 Length: 6 minutes and 24 seconds

 Genre: Classical Pop

Lyrics (Hindi): 

मिला[कर] निगाहें तुझसे, री !
हुआ फ़िदा मैं तुझपे, री !
लेकिन सच यह है कि आ SSS
औरत तू शहरीली है ।
अदा तेरी ज़हरीली है ।।
सुन तेरी बातें
मैं पागल हो जाऊँ, री !
तू शहरीली है । अदा ज़हरीली है ।।

करे मीठी-मीठी बातें,
सुनो लगेंगी सौग़ातें,
उफ़्फ़ ! समझ न आएंगी कभी ।
लगे दिल को लुभाए,
झूठी बातों से सताए
जाए नखरों के तीर छोड़ती ।
बातों से नखरीली, लेकिन
वाणी बहुत सुरीली है ।
इस वाणी के बल से
मैं कोयल हो जाऊँ, री !

रूप मोरनी का लेकर निकलती,
नयन, मानो जुगनू, चमकते ।
जैसी मोहिनी दिखेगी नज़रों को,
हो फ़रेब पहचान से परे ।
स्वर्ण-तेज दर्शीली है, पर
हृदय-राह पथरीली है ।
यों गिरते-पड़ते
मैं घायल हो जाऊँ, री !

पीछा आशिक़ों की है क़तार करती,
आगे, ज्यों है रेलगाड़ी, चलती ।
गोरा रंग चमकाए चंदा-सा,
दिखलाती, झूमती, अकड़ती ।
लखनवी अंदाज़ का उदाहरण
तेरे काम-ओ-वेश को मैं मानता ।
रंग में नहीं हैं सुंदरता ।
परम है सब जानता ।
मोड़ बड़ी चकरीली है ।
क़दम-छाप पटरीली है ।
ऐसे चरणों की
मैं पायल हो जाऊँ, री !

है यह रंग दस्तूर का बदन पर,
नहीं भीतर की ख़ूबसूरती ।
कोई रूप दिखलाएगी अगर तो
होगा वेश तेरा वह बनावटी ।
ध्यान खींचती रहे ज़माने-भर का
जैसे और कोई काम ही नहीं ।
जो दिखे वह बस है दिखावटीपन,
तहज़ीब का निशान भी नहीं ।
इधर-उधर झटकीली, तेरी
चाल बड़ी मटकीली है ।
फिर भी, तेरे तर्कों का
मैं क़ायल हो जाऊँ, री !

देख मेरी ओर तो ज़रा तू ।
तोड़ दूँ अकड़ यह तेरी ।
बंद कर दे न यह दिखावा ।
आ जा, कर ले न दोस्ती ।
आम बन जाएगी मेरे संग ।
ख़ास कुछ ख़ास न रहे ।
सभी ख़ुश, अंत ऐसा हो
कि कोई भी उदास न रहे ।
नटखट, ख़ूब नशीली है ।
वह अलग बात सर्पीली है ।
मैं आशिक़ तेरा,
तेरे ख़ातिर मर जाऊँ, री !