I once read a story and a poem based on it rose in my mind.
दो अंडे थे ।
बड़े ठंडे थे ।
इधर-उधर वे
भटक रहे थे ।
दोनों जब टकरा गए,
मानो जीवन पा गए ।
पहले से निकली धरती माँ ।
दूसरे से बना आसमान ।
दोनों ने कर लिया विवाह ।
एक रानी और एक शहंशाह ।
धरती को बच्चे हुए ।
दोनों बड़े अच्छे हुए ।
उनको कहाँ ज्ञात था
कि होना रक्तपात था ।
ख़ैर, थे दोनों जुड़वा ।
जब चलने लगी हवा,
"रखते हैं नाम सूरज-सूरज",
बोला आकाश गरज-गरज ।
पहला सूरज जैसे बुद्ध,
दूसरा मगर बन गया अशुद्ध ।
धरती ने दिये और बच्चे ।
जानवर, मानव अच्छे-अच्छे ।
पहले सूरज ने दिखाई नर्मी,
किंतु दूसरे ने अत्यंत गर्मी ।
दूसरा देता गर्मी जर्र-जर्र,
सारे जानवर भागते फुर्र-फुर्र ।
फिर प्राणियों ने लगाई सभा ।
"दूसरे सूरज की क्या है सज़ा" ?
सबने दिए अलग-अलग उपाय,
पर वे उपाय किसी को न भाए ।
फिर मेंढक ने दिया उपाय,
"क्यों न एक काम किया जाए ?
पहले मैं उसको बहकाऊँ,
फिर उसपर निशाना लगाऊँ,
बाद में उसपर तीर चलाऊँ,
नीचे उसको मरा मैं पाऊँ" ।
सबको उसने हाँ कहता पाया ।
सबने उससे हाथ मिलाया ।
मेंढक ने ऐसा ही किया ।
सूरज को भी मार दिया ।
धरती रोई,
बाढ़ आई ।
आसमान की आँखें रोने लगतीं,
नीचे वर्षा होने लगती ।
चंदा मामा रोने लगते,
भीग के काले होने लगते ।
पहला सूरज उसे रोशन करता,
उसका कालापन ले लेता ।
आज भी सब शोक मनाते हैं ।
दुख भरे गीत गाते हैं ।
© Param Siddharth 2013
दो अंडे थे ।
बड़े ठंडे थे ।
इधर-उधर वे
भटक रहे थे ।
दोनों जब टकरा गए,
मानो जीवन पा गए ।
पहले से निकली धरती माँ ।
दूसरे से बना आसमान ।
दोनों ने कर लिया विवाह ।
एक रानी और एक शहंशाह ।
धरती को बच्चे हुए ।
दोनों बड़े अच्छे हुए ।
उनको कहाँ ज्ञात था
कि होना रक्तपात था ।
ख़ैर, थे दोनों जुड़वा ।
जब चलने लगी हवा,
"रखते हैं नाम सूरज-सूरज",
बोला आकाश गरज-गरज ।
पहला सूरज जैसे बुद्ध,
दूसरा मगर बन गया अशुद्ध ।
धरती ने दिये और बच्चे ।
जानवर, मानव अच्छे-अच्छे ।
पहले सूरज ने दिखाई नर्मी,
किंतु दूसरे ने अत्यंत गर्मी ।
दूसरा देता गर्मी जर्र-जर्र,
सारे जानवर भागते फुर्र-फुर्र ।
फिर प्राणियों ने लगाई सभा ।
"दूसरे सूरज की क्या है सज़ा" ?
सबने दिए अलग-अलग उपाय,
पर वे उपाय किसी को न भाए ।
फिर मेंढक ने दिया उपाय,
"क्यों न एक काम किया जाए ?
पहले मैं उसको बहकाऊँ,
फिर उसपर निशाना लगाऊँ,
बाद में उसपर तीर चलाऊँ,
नीचे उसको मरा मैं पाऊँ" ।
सबको उसने हाँ कहता पाया ।
सबने उससे हाथ मिलाया ।
मेंढक ने ऐसा ही किया ।
सूरज को भी मार दिया ।
धरती रोई,
बाढ़ आई ।
आसमान की आँखें रोने लगतीं,
नीचे वर्षा होने लगती ।
चंदा मामा रोने लगते,
भीग के काले होने लगते ।
पहला सूरज उसे रोशन करता,
उसका कालापन ले लेता ।
आज भी सब शोक मनाते हैं ।
दुख भरे गीत गाते हैं ।
© Param Siddharth 2013